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________________ नवां बोल-१११ ऐसी उल्टी हो शिक्षा देते हैं, जिससे प्रजा निर्वल बन जाती है और राजा के अनुचित कार्य के विरुद्ध बोलने की हिम्मत भी नहीं कर सकती । जो विचारशील राजा सोचता है कि अन्त मे मुझे भी मरण-गरण होना है तो क्यो न मै अपना और दूसरो का कल्याण करूँ, वही राजा, प्रजा को अच्छी शिक्षा देगा । वह प्रजा को निर्बलता उत्पन्न करने वाली शिक्षा हगिज न देगा। हे युधिष्ठिर । दुर्योधन की कुशिक्षा का हमारे ऊपर ऐसा जबर्दस्त प्रभाव था कि यह बात अब हमारी समझ मे आई है। हम उसके पापो को देखते थे, जानते थे, पर हममे इतना साहस ही नहीं था कि उसके विरुद्ध जीभ खोल सकते । इसका प्रधान कारण यही था कि हमे निर्बलता उत्पन्न करने वाली शिक्षा मिली थी कि राजा के विरुद्ध जवान नही खोलना चाहिए । • आप लोग " विरुद्धरज्जाइकम्मे" पाठ का अर्थ समझते है ? अगर आप इस शब्द का यह अर्थ समझते हो कि 'राजा के विरुद्ध कुछ न करना' तो आपको धर्म का त्याग कर देने के लिए तैयार रहना पड़ेगा । कल्पना करो, राजा ने प्रत्येक को अनिवार्य रूप से शराब पीने का कानून बनाया। अव आप राजा के वनाये इस कानून को मानेगे ? अगर कहो कि राजा की ऐसी आजा नही माननी चाहिए, तो जो काम शराब पीने से भी अधिक हानिकारक है, ऐसे कामो के लिए राजा के विरुद्ध कुछ न बोलने की बात कहना किस प्रकार समुचित कहा जा सकता है ? राजा के विरुद्ध न वोलना या राजा के विरुद्ध काम न करना "विरुद्धरज्जाइ
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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