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३८-सम्यक्त्वपराक्रम (१) करते ही रहते हैं । एक छोटे से छोटा एकेन्द्रिय जीव भी, जितने समय में एक सामायिक की जाती है उतने समय मे (४८ मिनिट मे) ही ६५५३६ बार जन्म लेता है और मरता है और उद्योग करता ही रहता है। किन्तु वह उद्योग वीतरागता प्राप्त करने के लिए नही है। प्रमाद का त्याग करके जो उद्योग किया जाता है, वही वीतरागता प्राप्त करने के लिए किया हुआ उद्योग कहलाता है । इस प्रकार इस अध्ययन का 'वीतरागसूत्र अध्ययन' नाम भी ठीक है।