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प्रकाशकीय :
श्री जवाहर किरणोवली की यह सम्यक्त्वपराक्रम नामक आठवी किरण है । प्रस्तुत किरण में-उतराध्ययनसूत्र के सम्यक्त्वपराक्रम नामक २६ वे अध्ययन पर स्वर्गीय पूज्य आचार्य श्री श्री १००८ श्री जवाहरलाल जो म सा द्वारा फरमाये गये प्रवचनो का संग्रह किया गया है । ,
वैसे तो सम्पूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र परम उपयोगी और जीवन को उन्नत बनाने वाली शिक्षाओ, आध्यात्मिक सिद्धातो से परिपूर्ण है । मगर सम्यक्त्वपराक्रम नामक यह २६ वा अध्ययन तो विशेष रूप से गम्भीर और ज्ञातव्य है । इस अध्ययन में जैन धर्म का सार-तत्त्व प्रा जाता है । इस अध्ययन मे ७३ बोल हैं और वे सभी बोल आध्यात्मिक और धार्मिक भावना को जागृत करने वाले हैं ।
पूज्य आचार्य श्री जी म सा ने उक्त अध्ययन के बोलो की व्यापक व्याख्या करते हुए उन्हे खूब सरस और सरल बना दिया है । इन बोलो पर इतनी सुन्दर और विस्तृत व्याख्या अभी तक किसी ने नही की थी । व्याख्या को पढने से स्पष्ट हो जाता है कि पूज्य आचार्य श्री जी की विचार-शक्ति कितनी गभीर और व्याख्या-शक्ति कितनी ताकिक और ओजस्विनी है।
इस किरण मे सगृहीत व्याख्यान " श्री जवाहर व्याख्यान सग्रह" नामक गुजराती संग्रह मे दैनिक व्याख्यानो