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२४६-सम्यक्त्वपराक्रम (
धर्मरक्षा के लिए प्राणार्पण करने की भावना भी जनता में जाग उठेगी ।'
इस प्रकार अपने शिष्यो को समझा-बुझाकर गुरु तेगबहादुर औरगजेब से मिलने गये । औरगजेब ने उन्हे मुसलमान बनने के लिए बहुत समझाया और प्रलोभन दिये । मगर तेगबहादुर ने बादशाह को यही उतर दिया- 'आपको अपना धर्म प्यारा है और मुझे अपना धर्म प्यारा है। धर्मपालन के विषय मे किसी प्रकार का दबाव नही होना चाहिए | आप अपना धर्म पालें, मैं अपना धर्म पालू । अगर आपको अपने धर्म के प्रति इतना आग्रह है तो क्या मुझे अपने धर्म पर दृढ नही रहना चाहिए ?"
बादशाह बोला- 'तुम्हारा धर्म झूठा है । अगर उसमें कुछ सचाई है तो दिखलाओ कोई चमत्कार "
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तेगबहादुर ने कहा - 'चमत्कार बतलाना जादूगरो का काम है । परमात्मा का सच्चा सक्त चमत्कार दिखलाता नही फिरता ।'
बादशाह 'चमत्कार नही दिखा सकते तो यह क्यो नही कहते कि चमत्कार जानते हो नही हो ।'
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तेगबहादुर - - प्रकृति की प्रत्येक वस्तु मे चमत्कार भरा है । उस चमत्कार को देखो ।'
बादशाह कहने लगा- अगर तुम मुसलमान धर्म स्वीकार नही करना चाहते तो मृत्यु का आलिंगन करने के अतिरिक्त तुम्हारे लिए दूसरा कोई मार्ग नही है ।'
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तेगबहादुर - ' मरने के लिए तो मैं तैयार ही हू ।