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भगवान श्री कुन्दकुन्द-कहान जैन शास्त्रमाला. पुष्प-५७ मानव जीवन का महाकर्त्तव्य
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सम्यग्दर्शन
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[ पूज्य श्री कानजी स्वामीके प्रवचनों में से सम्यग्दर्शन
संबंधी अनेक प्रकारके लेखोंका संग्रह ]
जगतके जीवोंको धर्म करनेके लिये सर्वप्रथम उपाय सम्यग्दर्शन ही है । सम्यग्दर्शनके समान महान उपकारी तीनकाल तीनलोकमें अन्य कोई नहीं है । सम्यग्दर्शन ऐसी वस्तु है कि यदि जीव उसे एक क्षणमात्र भी प्रगट करे तो उसके भव का अन्त हो जाये ! सम्यग्दर्शन किसी गुट (फिरका ) की वस्तु नहीं है, किंतु वह तो स्वभावकी वस्तु है। अनंत संसारके अभावका मूल कारण सम्यग्दर्शन है।
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