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सम्यादर्शन
GHARA
तीसरी आवृत्ति
1
पृष्ट २७२
Duel
मूल्य १.६२
Girma
जिसमें अति सुन्दर वैज्ञानिक ढंग से तत्त्वज्ञान भरा है। सुख शांति का राह ( उपाय) सम्यग्दर्शन से शुरू होता है । सम्यग्दर्शन का स्वरूप समझे बिना संसार का परिभ्रमण कभी नहीं मिटता। अपूर्व दुर्लभ वस्तु प्रात्म साक्षात्कार निर्विकल्प अनुभव कैसे हो उसका बहुत सुन्दर ढंग से वर्णन है । सर्वज्ञ वीतराग कथित छहों द्रव्य को युक्ति दृष्टांत द्वारा सिद्ध करके स्पष्टता से बुद्धिगम्य बनाया है। सुशिक्षित जिज्ञासुओं में भी खास पढ़ने के लिये बॉटने योग्य है। (सम्यग्दर्शन
भाग २ गुजराती भाषा में है)। 'ज्ञानस्वभाव-ज्ञेय स्वभाव [ पृष्ठ ३६० * मूल्य २-५० ] [सिर्फ १५ पुस्तक शेष है ]
इसमें क्रमबद्ध पर्याय तथा पुरुषार्थ के स्वरूप का विस्तार पूर्वक स्पष्टीकरण है । सम्यक् अनेकांत सहित सम्यक् नियतवाद, जिसमे पुरुषार्थ, स्वभाव, काल, नियति और कर्म ये पच समवाय आदि प्राजाते हैं उसका विवेचन है, प्रवचनसार गाथा ६६ ऊपर के प्रवचनों का सार और ४७ नयों में से नियत, अनियत, काल, अकाल नय का वर्णन भी है। मुक्ति का मार्ग पृष्ठ १०३ 8 मूल्य ०-५०
[ चौथो प्रावृत्ति ] सच्चे सुख रूप मोक्षमार्ग में प्रवेश करने के लिये प्रथम किस २ बात का ज्ञान जरूरी है उसका मुख्य रूप से वर्णन है। योक सरोद कर प्रचार कीजिये।