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- श्री पंचासर पाश्र्वनाथ स्तवन -
( श्री जिनेद्र स्तवनादी काव्य सदोहमांथी) (सारग) कानमा, कानमा, कानमा, तारी कीरति सुणी मे कानमा तारी ॥धृ॥ घडी घडी मेरे दिलथी न विसरे, चित्त लाग्यं तुज ध्यानमा .. तारी प्रतिहारज आठ अनुपम, सेव करे अंक तानमां, . तारी वाणी पात्रीस अतिशय राजे, वरसे समकित दानमा, .. तारी तुम सम देव अवर नहि दुजो, अवनीतल आसमानमा, . तारी देखी देवार परम सुख पायो, मगन भयो तुम ज्ञानमां, . तारी वामानंदन पास पचासर, परगट सकल जहानमा, .. तारी जिन उत्तम पदसुं रग लाग्यो, चोळ मजीठ जिन ध्यानमां,.. तारी
श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी आरती कर्ता- प पू उदयरत्नजी महाराजश्री (एक प्राचीन आरती) जय जय आरती पाश्र्व जिणंदा, प्रभु मुख सोहे पूनमचदा . जय पहेली आरती अगर कपूरा, झगमग झगमग, ज्योति सनुरा . जय बोजी आरती पार्श्व प्रभुनी, सौ मली कीजे भक्ति सलुणी जय आरती कीजे अति उजमाला, झलहल झलहल झाक ज्ञमाला .. जय मोहन मूरति नव करवाने, निरुपम ओपम नीलवाने .. जय नव नव नाद मृदग न फेरी, वागत झलरी भूगलभेरी .. जय वामा के सुत हृदयमा वसिया, आरती करता मन उल्हसीया ...जय घट मनोहर मगलिक बाजे, सामळतां सौ सकट भाजे जय आरती अरती दूर निवारे, मगल मगलदीप वधारे .. जय अश्वसेन कुल दीपक पास, सेवकने दीयो समकित वास जय धूप दीप धरता प्रभु आगे, परम उदयरत्न प्रभुता जागे जय (मग्राहक- मोदी जयतिलाल नागरदास राधनपूरवाळा, कोइमतुर )
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। श्री कुभोजगिरी शताब्दी महोत्सव