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श्री कुंभोजगिरी तीर्थनी
गौरवभरी कामनीय कहाणी
नसारसागरने तरवा नीर्थो ए महान् स्टीमरनु काम करे छे जैन गासनमा तीर्थनो महिमा अपरपार गवायो छे तीर्थनी गौरवगाथाओ थोकवध मळी आवे छे तेमाय तीर्योनी स्थापना अने नेनो बिकाम उदार-मुर्ति श्रद्धाळु श्रावकगणे अदळक धनव्यय करीने करलो छ, एम प्राचीन इतिहासना पाना पोकारे छे
तीर्थकर भगवन्तोनी ज्या ज्या कल्याणको च्या छे, ते भूमिओ पवित्र तीर्य तरीके पकाय हे प्राचीन काळथी आवा तीर्थो अनेकय प्रसिदिने पामेला हे
भारतनपनी प्रत्येक दिगाओमा प्राचिन के अद्यतन अनेक नीर्थों आजे भावुकोना हृदयने पाइन बनावी रह्या छ
दिनम दिशामा श्री शत्रुजय, श्री गिरनार नीयं आदि यानाटओने हदय शुद्धि करवा नाथे नमन आल्हाद पैदा करे के पूर्व दिगामा गमे गिाजी आदि तीर्थभमियो कल्याण
मनी ल्याण गाधनाने साधेचे उत्तर विगामा नािजी आदि अनेक लोगों भमनने
मावी मा अक्षिण दिशामा श्री लगानी, अनन्क्षिजी, भाइरजी प्रनि अनेक जीनोमिन प्रतिदिन प्रििदन पागना
य, संगद नागोगो उदार ने किया गरमा एमाजना यात्राला
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शयन अनेक नीयों आजे भाबुणगेना हृदयने
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नीना गिना या
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श्री मार्गामाता