SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री पार्श्वप्रभुनुं स्तवन ( तीरथनी आशातना नवि करीओ ) दादा पारसनाथने नित्य नमियें, हारे नित्य नमिये रे, नित्य नमिये, हारे नमिये तो भव नवि खमिये, हारे चित्त आणीठाम, वामा उर सर हसलो जगदीवो, हांरे जगतारक प्रभु चिरजीवो; हारे अनुं दर्शन अमृत पीवो, हांरे दीठे सुख याय, हांरे अलवेसर अंतरजामी, हारे कहे सुरपति सेव, अश्वसेन फुल चद्रमा जगनामी, हरेि त्रण सूचननी ठकुराइ पामी, परमातम परमेसरु जिनराय, हारे जस फणिपति लछन पाय, हारे काशी देश वाराणसी राय, हांरे जपीओ शुद्ध प्रेम, गणधर दश द्वादशागीना धरनार, हारे अडतीस सहस साहुणी सार, नीलवरण नव हाथ सुदर काया, हांरे पाम्या परम महोदय ठाय, जिन उत्तम पद सेवना सुखकारी, हारे मुनि भोमविजय जयकारी, ( श्री जिनेद्र स्तवनादी काव्य सदोहमाथी ) श्री कुंभोजगिरी शताब्दी महोत्सव ] दादा ॥ १ ॥ दादा दादा दादा हांरे सोळ सहस मुनिवर धार; हांरे रुडो जिन परिवार, दादा हारे अक शत वर्ष पाल्य आय हारे सुख सादि अनंत, दादा हारे रूप कोरति कमला विस्तारी, हांरे प्रभु परम कृपाळ, दादा ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ ॥ ४ ॥ ॥५॥ ॥ ६ ॥ ।। ७ ।। [ ४१ SKAKKEKOXNER********NG
SR No.010457
Book TitleKumbhojgiri Jain Shwetambar Tirth Shatabdi Mahotsava Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKubhojgiri Tirth Committee Kolhapur
PublisherKumbhojgiri Tirth Committee Kolhapur
Publication Year1970
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy