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________________ (७२) विसल्या दस्त लगाया। शक्ती गाउ मिटाते हैं।।मि४ अगर दिल साफ है जिनका | प्रेम से रहे मन उनका ॥ द्रोह से होवे मित्र खारा । कपट से गूंजजाते हैं। मि५ हमारा काज सुधारो । बिरादर पार उतारो॥ हीरालाल मित्रतायेही। मोक्ष के सुखचहाते है।मिद ॥ पद-सद्बौध ॥ म्हारोमन राच्यो राज राच्यो यह देशी॥ अजब रंग लागो जी लागो । तजियो जगत् को धन्धो आगो ॥ टेर । कमी नहीं यहां कोई बातकी । जो चाहिये सो ___ मांगो ॥ अजब ॥ १ ॥ अखूट खजाना भरा हमारे। लेना होवे तो पीछा सांगो क्यो भूला तूं घमन्ड मन्डमें । बान्धी बांकी पागो ॥ अजब ॥२॥
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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