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॥प्रस्तावना॥ गाथा-नाणस्स सव्वस पगासणाय ।
अन्नाण मोहस्स विवजणाय ॥ रागस्त दोसस्स य संखणाय । एगंत सोख्खं समुवेश् मोख्खं ॥
___ श्री उत्तराध्ययन सूत्रम् ज्ञान सर्व स्थानमें प्रकाशका करने वाला है, अज्ञान और मोहरूप अन्धकारका नाश करने वाला है, रागढेषरूप रोगका विध्वंश करने वाला है, और एकांत अमिश्र अनुपम मोक्ष सुखका दाता है.
इसलिये सुखेच्छु प्राणियोंको अभिनव ज्ञानका पठन मनन और निध्यासन करनेकी बहुत ही आवश्यकता है. प्राचीन कालमें केवलज्ञानी तथा महा प्रज्ञा (बुद्धि)वंत सत्पुरुषों अनेक