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गायो सती तणो सम्बन्ध दिनोदिन आनन्दाजी ॥ श्री जवाहर लालजी महाराज धर्म दीपायो । महाराज हीरालाल विघन हटानीजी || हुई || ६ ||
|| बँकचूल सम्वन्ध || लावणी - चाल दूणकी ॥ यह लिया वृत पच्चखाण को निर्मल पाले । महाराज कष्टमें कभी नही डिगताजी । यावित जायसव दूर मिले सुख सब मन गमताजी || टेर || यह बँकचूल कुँवर हूंता राजाका | महाराज पल्ली में जाकर वसियाजी । हुवा चोरो का सरदार सदा कुकर्म में फसियाजी | एक दिन मार्ग भूल मुनिश्वर आया । महाराज पलीमें चौमासो कीधोजी । मत देना इहां उपदेश मुनिजी मानज लोधी जी ॥ शेर - चतुर्मास पूरा हुवा, मुनिश्वर किया विहारजी ।