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(१४०) ॥श्रेणिक चरित्र ॥ लावणी-चाल दूणकी । श्रीपद्मनाभ महाराज तिर्थकर पहिला । महाराज जीवकी दयाजो पालीजी। कियो धर्मतणो उद्योत हुवा द्रढ समकितधारीजी॥ या राजग्रही नगरीकी महिमा मोटी । महाराज श्रेणिक राजा भूपालाजी। पटराणी चेलणा जाण पुत्र दो हुवा सुकुमालाजी ॥ यह कोणिक कुँवर पुण्यवंत महा तप धारी। महाराज वेहल कुँवर है छोटा जी। याने बख्श दिया महाराज हार हाथी दोई मोटाजी।। छूट-तब कोणिक कँवर के दिलमें आइ ।
मोकुराज मिले कब करूं मोज मन चाहाई यह कालि कुँवर दशों भ्रात लिया बुलाई । मिसलत करे तुम सुणो सभी एक साई ॥