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(८८ ) अरणक मुनीको मन ललचायो । तो और घणा भरमाया हो ॥ गुरुजी ॥८॥ प्रसन्नचन्दजी परिणाममें चडिया। तो ततक्षिण केवल पाया हो ॥गुरुजी।।९॥ ज्ञानसे बान्धी धैर्य धर राखो। तो संयम के घर लावो हो ॥ गुरुजी ॥१०॥ कहे हीरालाल मन वश कीजे। तो मोक्ष तणा फल पावो हो ॥गुरुजी॥११॥,
॥ पद-अभिमानीके लक्षण ॥ राग महाड ॥ फोकट बादलियां जिम गाजे । तेहनो हृदय निपट नीलाजे ॥फोकट ॥ टेर.॥ मुखडे बचन बोले अति मीठो । काज सुधारं आज॥ दमडी देतां जीवडो दुःखे । परमार्थके काजे॥फो॥१॥