________________
जैन पूजा पाठ सह
धूप सुवास विचार, चंदन अगर कपूर की ॥ जन्म०
ॐ ह्रीं सम्यन्नत्रयाय मोहान्धकार विनागनाथ दीप निदंपामीति स्वाहा ॥ ७ ॥ फल शोभा अधिकार, लोंग छुहारे जायफल ॥ जन्स०
७६
ॐ ह्रीं सम्यक्रनत्रवाय नोलपट प्राप्तये फल ॥ ८ ॥
आठ दरव निरधार, उत्तमसों उत्तम लिये ॥ जन्म• ॐ ह्रीं सन्यकरत्रत्रयाय अनपटप्राप्तये अव० ॥ ९ ॥
सम्यक दरशन ज्ञान, व्रत शिव-सग तीनों मयी । 'धानत' पूजों व्रतसहित ॥१०॥
पार उतारन यान,
ॐ ह्रीं सम्यरत्नत्रयाय पूर्णां निर्वपामीति स्वाहा ।
सम्यग्दर्शन पूजा
दोहा - सिद्ध अष्ट- गुनमय प्रगट, मुक्त जीव-सोपान । ज्ञान चरित जिहँ बिन अफल, सम्यकदर्श प्रधान ॥१॥
ॐ ह्रीं अष्टागन्यग्दर्शन । अत्र भवतर अवतर संवौषट् ।
ॐ ह्रीं अष्टागतम्यग्दर्शन ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ ठ |
ॐ ह्रीं अष्टागसम्यग्दर्शन । अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् ।
सोरठा-नीर सुगन्ध अपार, त्रिषा हरै मल छय करै । सम्यकदर्शन सार, आठ अङ्ग पूजौं सदा ॥ २ ॥
ॐ ह्रीं अष्टावसम्यग्दर्शनाय जल निर्वपामीति स्वाहा ॥ १ ॥
जल केशर घनसार, ताप हरै शीतल करै ॥ सम्य० ॐ ह्रीं अष्टागसम्यग्दर्शनाय चन्दन निर्वपामीति स्वाहा ॥ २ ॥