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रामटेक-स्टेशन में तीन मील की दूरी पर धर्मशाला है। दस बडे-बड़े मन्दिर है। इसमें १ मन्दिर में एक प्रतिमा १४ फुट की दर्शनीय है।
[मध्य भारत • मालवा ] . मक्ती-पाश्चनाप-सेन्ट्रल रेसवे को भोपात - उज्जैन शाखा मै इस नाम का स्टेशन है। वहीं से १ मोर पर एक प्राचीन जैन मदिर है। उसमे पार्श्वनाथ की बड़ी मनोर प्रतिमा।
सिदवरफूट-दौर से सण्डया लाईन पर गोकारेश्वर स्टेशन से होते हुए अथवा मनामद ने भीन पर है। यहाँ २ चक्रवर्ती. १० कामदेव एव साढे तीन करोड़ मुनि मोक्ष गये है।
पडयानी-वामी स्टेशन से ५ मीन पर चूसिगिरि पहाड है. जिसकी तनहटी में दादनगजा (म्मर्ण) को प्रसिद्ध खड्गासन पतिमा है। पौष मे यहाँ मेना रगता है। बाले इ-द्रजीत जोर कुम्भकर्ण जादि मुनि मोक्ष गये है।।
ऊन-यह पाचन क्षेत्र पावागिरि के नाम से प्रसिद्ध हुआ है। यहीं पर बहुत मे मन्दिर और मूर्तिी जमीन से निक्ती है तथा दर्शन करने योग्य है।
[राजस्थान प्रान्त ] श्रीमहावीरजी-पश्चिम रेलवे की नागदा - मथुरा लाईन पर श्री महावीरजी स्टेशन है, यहाँ से ४ मोम पर क्षेत्र है। भगवान महावीर स्वामी की प्रति मनोज्ञ प्रतिमा पाम के ही एकटील के अन्दर से निकली थी।
पनपुरी-स्टेशन योदासपुरा। भगवान पदाप्रभु की अतिशयपूर्ण, भव्य और मनाश प्रतिमा के अतिशय के कारण इस क्षेत्र का नाम पदापुरी पड़ा है।
फेशरियानाथ-उदयपुर स्टेशन से ४० मील पर । यहाँ ऋषभदेव स्वामी का बहुत विशान मन्दिर है। यहीं भारत के सभी तीर्थों से अधिक केशर भगवान को चढ़ती है. इमी म इम्का नाम फैशरियानाथ पड़ा है।
तिजारा भतवर एव दिहो स वस द्वारा । चन्द्रप्रभु भगवान की अतिशय युक्त मूति दर्शनीय है।
[वम्बई प्रदेश] नारंगा-स्टेशन तारगा-हिस से ३ मील दूर पहाड़ पर यह क्षेत्र है। यहाँ से वरदत्तादि साढ़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गये है।