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जैन पूजा पाठ सग्रह
काम अभि है मोहि, निश्चय शील स्वभाव तुम । फूल चढ़ाऊँ तोहि, मेरो रोग निवारियो ॥ पुष्पं० ॥ अकृतबोधसुदिव्यनैवेद्यकैर्विहितजातिजरामरणांतकैः ।
निरवधिप्रचुरात्मगुणालय, सहज सिद्धमह परिपूजये | मोहि क्षुधा दुख भूरि ध्यान खड्ग करि तुम हती । मेरी वाधा चूर, नेवज से पूजा करूं ॥ नैवेद्य ० ॥ सहजरत्त्ररुचिप्रतिदीपकैः, रुचिविभूतितमः प्रविनाशनैः ।
निरवधिस्त्र विकाशप्रकाशनैः, सहजसिद्धमहं परिपूजये ॥ मोह तिमिर हम पास, तुम पै चेतन ज्योति है । पूजों दीप प्रकाश, मेरो तम निरवारियो ॥ दीपं० ॥ निजगुणाक्षयरूपसुधूपनैः स्वगुणघातिमलप्रविनाशनैः ।
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विशदबोधसुदीर्घसुखात्मक, सहजसिद्ध मह परिपूजये ॥ अष्टकर्मवन जार, मुक्ति मांहि तुम सुख करो । खेऊँ धूप रसाल, अष्ट कर्म निरवारियो ॥ धूपं० ॥ परमभावफलावलिसम्पदा, सहजभावकुभावविशोधया ।
निजगुणास्फुरणात्मनिरजन, सहजसिद्धमह परिपूजये ॥ अन्तराय दुःख टाल, तुम अनन्त थिरता लही । पूजूं फल दरशाय, विघ्न टाल शिवफल करो ॥ फलं० ॥