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अन पूजा पाठसग्रह
तब विलंब नहिं कियो, प्रतिज्ञा वज्रकर्ण पल । तब विलंब नहिं कियो, सुधन्ना कादि वापि थल ॥ इमि० तब विलंब नहिं कियो, कंस भय त्रिजग उबारे । 'तब विलंब नहिं कियो, कृष्णसुत शिला उधारे ॥ तब विलंब नहिं कियो, खड्ग मुनिराज़ बचायो। तब विलंब नहिं कियो, नीर मातंग उचायो । इमि० तब विलंब नहिं कियो, लेठसुत निर विष कीन्हौं। तब विलंब नहिं कियो, मानतुंग बंध हरीन्हौं । लब विलंब नहि कियो, वादिमुनि कोढ़ मिटायो। तब विलंब नहिं कियो, कुमुद निज पास कटायो॥ इमि० तब विलंब नहिं कियो, अञ्जना चोर उवास्यो। तब विलंब नहिं कियो, पूरवा भील सुधास्यो । तब विलंब नहिं कियो, गृद्ध पक्षी सुन्दर तन । तब विलंब नहिं कियो, भेक दिय सुर अदभुत तनाइमि० इहविधि दुःख निरवार, सारसुख प्रापति कीन्हौं । अपनी दास निहारि, भक्तवत्सल गुण चीन्हौं । अब विलंब किहिं हेत. कृपा कर इहां लगाई। कहा सुनो अरदास नाहि, त्रिभुवन के राई॥ जनवृन्दसुमनवचतन अबै, गही नाथ तुम पदशरन । सुधि ले दयाल मम हाल पै, कर मंगल मंगलकरनाइमि०