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________________ जन पूजा पाठ संग्रह ले आये नीर बलभद्र तीर नरपति के। लखि हाल भये बेहाल देख भूपति के ॥ षट् मास फिरे बलभद्र मोहवश भ्रमते । दिया तुङ्गीगिरि पर दाह बोध चितधर के॥ कहेगुणीजन के सुन वाणी यह जिनवरकी। भई जरदकंवर के हाथ मौत गिरिधर की ॥ श्री नेमिनाथजी की विनती सैयो म्हारी नेमीसुर वनडाने गिरनारी जातां राख लीजो ये ॥ टेक ।। समद विनयजी रा लाडला ये माय, सैयो म्हारी दोनू छ हरघर लार । पिताजी ने जाय कहिजो ये ॥ १ ॥ नेमीसुर बनडो चण्यो हे माय, सैयो म्हारी खुद वणी छै घरात । ___झरोखा से माख लीजो ये ॥२॥ तोरन पर जव आईया ये माय, सेयो म्हारी पशुवन सुणी पुकार । पाछो रथ फेरियो ये माय ॥ ३ ॥ तोड्या के कांकण डोरडा ये माय, मैयो म्हारी तोड्या छ नवसर हार । दीक्षा उरधार लीनो हे माय ॥ ४ ॥ मंजम अय में धारस्यू ये माय, संयो म्हारी जास्या गढ गिरिनार । कर्म फन्द काटस्या ये माय ॥ ५ ॥ सेवक की ये विनती ये माय, सैयो म्हारी मागो छ शिवपुर वास । दया चित्त धार लीजो ये माय ॥ ६ ॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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