SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१८ जिन पूजा पाठ सग्रह तन्दुल उज्ज्वल प्रति धोय थारा में तुम सन्मुख पुञ्ज चढ़ाय अक्षय पढ़ ॐ ह्री श्री चंदनपुर महावीर स्वामिने अक्षयपदप्राप्तये अक्षत० वेला केतुकी गुलाब चम्पा गुलाब चम्पा कमल जे कामवाण करि नाश तुम्हरे चरण ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिनं कामवाणविध्वसनाथ पुष्प० ॥ ४ ॥ फैनी गुञ्ज अरु स्वार मोदक ले लीजे | करि क्षुधा रोग निरवार तुम सन्मुख कीजे ॥ चॉदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य ० ॥ ५ ॥ घृत में कर्पूर मिलाय दीपक मे जारो । करि मोह तिमिर को दूर तुम सन्मुख बारो ॥ चॉदन० ॐ हो श्री चंदनपुर महावीर स्वामिने मोहान्धकारविनाशनाय दीपं० ॥ ६ ॥ दश विधि ले धूप बनाय तामें गन्ध मिला । तुम सन्मुख खेऊ आय आठों कर्म जला || चाँदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने श्रष्टकर्मदहनाय धूप० ॥ ७ ॥ पिस्ता किसमिस बादाम श्रीफल लौग सजा । श्री वर्द्धमान पद राख ' - पाऊ मोक्ष पदा || चॉदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने मोक्षफल प्राप्तये फल० ॥ ॥ लाऊँ । पाऊँ । चाँदन० || ॥ ३ ॥ लऊँ । दऊँ ॥ चॉदन० जल गन्ध सु अक्षत पुष्प चरुवर जोर करों । ले दीप धूप फल मेलि आगे अर्ध करों ॥ चॉदन० ॐ ह्री श्री चाँदनपुर महावीर स्वामिने अनर्घपदप्राप्तये अर्ध० ॥ ६ ॥
SR No.010455
Book TitleJain Pooja Path Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages481
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy