________________
श्वेत अखण्डित अक्षत लाय, पूजो श्रीमुनिवर के पाय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त. ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा । कमल केतकी पुष्प चढाय, मेटो कामवाण दुःखदाय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त. ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम कामवाणविध्वसनाय पुष्प निर्वपामोति स्वाहा । लाडू फेनी घेवर लाय, सब मोदक मुनि चर्ण चढाय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ।। सप्त. ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य निर्वपामीति स्वाहा। घृत कपूर का दीपक जोय, मोहतिमर सब जावे खोय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त. ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम मोहान्धकारविनाशनाय दीप निर्वपामोति स्वाहा । अगर कपूर सुधूप बनाय, जारे अष्ट कर्म दुःखदाय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त० ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम अष्ट कर्मदहनाय धूप निर्वपामोति स्वाहा । लोग लायची श्रीफल सार, पूजो श्रीमुनि सुखदातार । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त. ॐ ह्री श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम मोक्षफलप्राप्तये फल निर्वपामीति स्वाहा । जल फल आठो द्रव्य संजोय, श्रीमुनिवर पद पूजो दोय । दयानिधि होय, जय जगबन्धु दयानिधि होय ॥ सप्त० ॐ ही श्री विष्णुकुमार मुनिभ्यो नम अनर्धपदप्राप्तयै अयं निर्वपामीति स्वाहा ।