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बेन पूजा पाठ सद
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सोनागिरि के शीश पर, जेते सव जिनराज । ते सुगन्ध कर पूजिये, दाह निकन्दन काज ॥ ही थी सोनागिरि निर्माणग्रेभ्यो ससारतापपिनागनाय चन्दन निष्पामीति स्वाहा ॥ तन्दुल धवल सुगन्ध ल्याय जल धोय पखारो। अक्षय पद के हेतु पुञ्ज द्वादश तह धारो॥ सोनागिरि के शीश पर, जेते सब जिनराज । तिन पद पूजा कीजिये, अक्षय पद के काज ॥ ही सोनागिरि निपांगरेभ्यो अक्षयपदनामये अक्षतान् निर्षपामीति स्याहा ॥३॥ चेला और गुलाव मालती कमल मंगाये। पारिजात के पुष्प ल्याय जिन चरण चढ़ाये ॥ सोनागिरि के शीश पर, जेते सब जिनराज । ते सब पूजी पुप्प ले, मदन विनाशन काज॥ ही थी सोनागिरि निक्षत्रेभ्यो पामपाणपिध्वरानाय पुष्प निर्वपामीति स्वाहा ॥ विजन जो जगमांहि खांडत मांहि पकाये। मीठे तुरत बनाय हेम थारी भर ल्याये ।। सोनागिरि के शीश पर, जेते सब जिनराज । ते पूजों नैवेद्य ले, क्षुधा हरण के काज ।। ही श्री सोनागिरि निर्माणक्षेत्रेभ्यो पारोगपिनाशनाय नैवेयं निपंपामीति स्वाहा ॥५॥ मणिमय दीप प्रजाल धरौं पंकति भर थारी। जिन मन्दिर तम हार करहु दर्शन नर-नारी ॥ सोनागिरि के शीश पर, जेते सब जिनराज ।
करों दीप ले आरती, ज्ञान, प्रकाशन काज। ॐी श्री सोनागिरि निर्याणक्षेत्रेभ्यो मोदान्धकारविनाशनाय दीप निर्वपामीति स्वाहा net