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श्रीपाद नाथ जिन पूजा
गोवा छन्द।
वर स्वर्ग प्राणतको विहाय सुमात वामा-सुत भये । अश्वसेन पारस जिनेश्वर, चरण तिनके सुर नये ॥ नवहाथ उन्नत तन विराजे, उरग लच्छन अति लसें । थाएं तुम्हें जिन आय तिष्ठो, करम मेरे सब नसें ॥
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चामा छन्दा
क्षीर सोम के समान अम्ब-सार लाइये । हेम पात्र धारिक सु आपको चढ़ाइये ॥ पार्श्वनाथ देव सेव आपकी करूं सदा । दीजिये निवास मोक्ष भूलिये नहीं कदा ॥ १ ॥
नागपागीविना ॥ १ ॥
चन्दनादि केशरादि स्वच्छ गन्ध लीजिये । आप चर्ण चर्च मोह-ताप को हनीजिये ॥ पार्श्व ० ॥२॥
हीनयानागदन निर्वपामीति स्वाहा ॥ २ ॥