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श्री नेमिनाथ जिन पूजा श्रीहरिवंश उजागर नागर, नेमीश्वर जिनराई । बालनारी जननारी. श्याम शरीर सुहाई ॥ यादववंश महानभ प्राण. चन्द्रा सुम्बदाइ । अत्र विराजन शिरख वो जिनराई ॥
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कुछ न हुई विद
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की र मनोल कथन कारी माहि परो । जनमजय दुकानको, श्रीजिन सन्मुख धार करो ॥ चारी वर्गवारी, नेमीश्वर जिनराज महान । में नित प्यान प्रभु मेरा मोकूं दीजो अविचल धान ॥
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हुए जोकि उन्ह
मलयागिरि कपूर मिलाया. वंशर रंग अनोपम जान । भर आनापरहित जिन चरणकमलको पूज आन ॥वा
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चन्द्रकिरण मउल लीजे, अक्षत स्वरलगुणसान । अक्षय नायक प्रभुको पूजें हर्षसहित हितमान ॥ घाल
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भांति-भांति कृप मंगाये. कृसुमायुध अरिजीतन कान । कुलमा विजयी जिनके चरण कमलको पूजें आज ॥ घा
मनमोहन पचान बनाना एमहित प्रभुकं गुण गाय । अधारोग नाश करन को श्रीजिन चरणन देत चढ़ाय | घाल
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