________________
----
जैन पूजा पाठ संप्रह
माता खावै चरपरौ, फिर लागे तन सन्ताप हो । प्रभु ज्यों जननी तातो भखै, फिर उपजै तन सन्ताप हो || म्हारी || औंधे मुख झुल्यो रह्यो, फेर निक्सन कौन उपाय हो । कठिन कठिन कर नीसरस्यो, जैसे निसरै जंती में तार हो ॥ ग्हारी ० प्रभु फिर निकसत धरत्यां पब्यो, फिर लागी भूख अपार हो । रोय रोय विलख्यो घणो, दुख वेदनको नहिं पार हो || म्हारी ० प्रभु दुख मेटन समरथ धनी, यातें लागू तिहारे पांय हो । सेवक अरज करै प्रभु ! मोकू भवोदधि पार उतार हो || म्हारी ० दोहा - श्रीजीकी महिमा अगम है, कोई न पावें पार | मैं मति अल्प अज्ञान हो, कौन करें विस्तार ॥
ॐ ह्री श्रीआदिनाथ जिनेन्द्राय महार्घं निर्वपामीति स्वाहा ।
श्री चन्द्रप्रभके पूर्वभव गीत ।
श्रीवर्मा भूपति पालि पुहमी, स्वर्ग पहले सुरभयौ । पुनि अजित सैन छखन्डनायक, इन्द्र अच्युत में थयौ ॥ चर परम नाभिनरेश निर्जर, वैजयंति विमानमें । चन्द्राभस्वामी सातवें भव, भये पुरुष पुरानमें ||
१०५
दोहा - विनती ऋषभ जिनेशकी, जो पढ़सी मनलाय । स्वर्गो में संशय नहीं, निश्चय शिवपुर जाय ॥
इत्याशीर्वाद ।