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शिसजन विन जाने वा जान भी जो कोय । तुम ममा ने परम पर रोय ॥१॥ पृजनशिधि जानी नगी सामान । और पिलगंन नहीं, साग , नगवान ॥२॥ मन्त्रहीन धमीन: न जित समा कार; गर, मु. देकर ने ॥ आये जो- जगत. Y
E ने नवजाः परामर, अपने अपने ना
नं पान श्री जिनमपी आशिका. लीजे7 पार। भव भर केपाना पाट दुर र सजाय ॥ १ ॥
rmiri हद-मांचल दल पनि भत्रित कशन वि का जोर कवि. नमत