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विरोधी - अरे अरे अफसोस है, दुख भरा संसार ।
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जिसमें रोने आदि की, शिक्षा का प्रचार ॥
वुरी भारत की० ॥ १० ॥ कर्ता - पढ़ने से क्या होयगा, करना क्या व्यापार । इतना ही बस बहुत है, करना शिष्टाचार ॥ मेरे भाई का० ॥ ११ ॥
विरोधी-भ्राता लड़की एक है, देवी अति ही बाल । छोटे पन में लेगया, उसके पति को काल || वुरी भारत० || १२ ||
कर्ता —बड़े भाग के योगतें, आवे यह संयोग । लाड़ लड़ाकर बहू का, धनका हो उपयोग ॥ मेरे भाई० ॥ १३ ॥
विरोधी — नहीं बुद्धि विद्या कछू, नहीं जाने कुछ राह ।
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पढ़ता पहिली क्लास में, क्या जाने वह व्याह || बुरो भारत० ॥ १४ ॥ -
कर्ता - नाई ब्राह्मण मिल सभी, घर पर आये आज । खुशी मनाते है सभी, सुनकर साज समाज ॥ मेरे भाई० || १५ ||
विसेबी-पढ़ी लिखी भी है नहीं, जाने न कुछ भी राह | जल्दी इतनी क्यों करी, पीछे होता ब्याह | वुरी भारत० ॥ १६ ॥