SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७० ) बूढा - देख मेरा आँखों का सुरमा, कैसा लगे पियारा । हाथों कंगन पहन लगूं मैं, जैसे राज दुलारा ॥ मैं तो शादी करूं ॥ ६ ॥ रिफार्मर - बेटे पोते घर पड़पोते, कुटुंब तेरे घर वारी । तुझे लगी शादी की, बिलकुल गई तेरी मत मारी ॥ मत शादी ० ॥ ७ ॥ चूढा -- बेटे पोते अपने घर के, मेरा तो घर खाली । घर की लाली जभी रहे जब हो घर में घर वाली ॥ मैं तो शादी करूं मैं तो शादी० ॥ ८ ॥ रिफार्मर-घर वाली क्या तेरी जानको रोवेगी नादान । आज कराता है तू शादी, कल चढ़ चले विमान || मत शादी करे मत शादी० ॥ ६ ॥ शेर चैठ कर अरथी पै तू कल जायगा स्मशान में । करके जायगा दुल्हन को, रांड तू इक आन में ॥ क्या भरोसा जिंदगी का और फिर बूढा है तू । पैर तेरे गोर में, और हाथ कररिस्तान में || क्यों करे ज़ालिम किसी की जिंदगी बरबाद तू । क्या धरा व व्याह में और व्याह के अरमान में ।। गर तू जोती चाहता हे आकृवत में हो भला । मन लगा भगवान में और धन लगा पुन्य दान में || । 9
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy