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________________ { ५६ ) पीने है अदना आला, यह घट में करे उजाला। विरोधी-~क्या खाक बनाये आला, दिल जिगर सब करे काला, अच्छा नशा यह निकाला,दोजत्व में गिरानेवाला हुक्केवाज-~-यह महफ़िलका सरदार, क्याजाने मूह गंवार । विर.धी--(शेर) कब तक कि हुक्का नोशो मुहल्ला जगा अोगे, बंसी बजाके नाग को कब तक खिलाओगे। मारे आस्ती डसेगा बस तुम्हें, पंजे से ऐसे देव के 'वचने न पाओगे । गर ज़िदगी चाहते हो तो इसको तर्क करो, खुद अपना वरना खिरमनेहस्ती जलाओगे। (चलत) जिस इससे मीन लगाई, आखिर में हुई दुख दाई । मान कहा क्यों पागल बनता कहांगई चतुराई। हुक्केवाज-तेरी मान नसीहत छोड़, ले अभी चिलम को तोडू। नहचे को तोड़ मरोड़ हुकेको ज़मीसे फोड़। ना पिऊ कभी यह हुक्का, लानत २ यह हुक्का, ना पिया यह हुक्का, वेशक लानत यह हुक्का ।। ५८ ' (लिगरेट का ड्रामा ) . पीनेवाला-यारो मुझे सिगरेट या बीड़ी दिलाना यारो मुझे सिगरेट या बीड़ी दिलाना, बीड़ी दिलाना माचिस लगाना कैसा यह फैशन वना ।
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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