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________________ ( ३६) चाले । सुनियो० ॥ २॥ बन गये मुसलमान ईसाई लाखों ने है जान गवाई होते कोई नहीं सहाई, म्हारे प्राण बचाने वाले । सुनियो०॥४॥ आये अब तुमरे दरबार,न्यामत दिल में दया विचार, करो अनाथों का उद्धार दया का भाव दिखाने वाले । सुनियो० ॥५॥ " (गजल) देख कर हालत वतन की अब रहा जोता नहीं बिन कहे मन की पिथा यह धीर मन अाता नहीं ॥ टेक।। ऐशो अशरत के, वो सामां हाय भारत क्या हुये, क्या हुई पहली वो हालत कुछ कहा जाता नहीं । देख कर हालत० ॥ १॥ प्रेम की खेती है सूखी फूट का है बाग सबजे क्या, तुझे भारत वतन अब प्रेम कुछ भाता नहीं । देख कर० ॥२॥ सब हैं अपनी अपनी उन्नति सीढ़ियों पर चढ़ रहे तने दी क्यों हार हिम्मत्त क्या चढ़ा जाता नहीं। देख कर० ॥ ३॥ जुल्म क्या क्या कर चुका है __ बस कर चरखे कुहन नीम जां हम हो चुके हैं गम सहा ___ जाता नहीं॥४॥ याद वरवादी जब अपनी आती है हम __ को कभी, वसुधा रोदेती है पर कुछ वस बसाता नहीं । देख कर हालत वत०॥५॥
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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