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- ( ११ ) भजन नं०६ (गजल प्रार्थना) सन्मति भवसागर के मांदि, भैय्या पार सधानेवाले । टेका। आये पावापुर के बीच, मारे वैरी पाठो नीचे। अपने धनुष यान को खीच, कर्म के काट उड़ानेवाले ।।
सन्म ॥१॥ लेकर चक्रसुदर्शनज्ञान, करके मिथ्यामत का मान । जिल्लाकर न्यामन परवान, मुक्ति की राह बतानेवाले ।
भजन नं० १० (लावनी देश) तन मन सारेजी सांवरिया, तुमपर वारमाजी ।। टेक ॥ पालापन में कमनिवारो, अगनीजलता नाग उवारो। धैरी करमन मारो तपबल धारनाजी तन मन ।।१।। जीवाजीव द्रव्य बतलाये, सब जीवन के भरम मिटाये। शिवमारग दरसाये, दुख पर हारनाजी तन मन सो० ॥२॥ स्याद्वाद सतभंग सुनायो, नय प्रमान निश्चय करवायो। झठे मत किये खंडन सतको धारनाजी तन मनः ॥ ३॥ न्यामत जिन पारस गुन गावे, पुनिपुनि चरनन शीस निवावे। वीतरागसर्वज्ञ वही हितधारनाजी तन मन सारेजी० ॥ ४॥
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