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निठुरता अग्रतग-कपट कर लिर डारी धूर-अलत अंगकर भंग बतातेनर जीत करम करूर ॥२॥ लोम कन्दरा के मुखम भर काट असं जम लाय ज़रूर-विषय कुशील कुलाचल फूंकते नर जीतें करमफलर ॥ ३ ॥ परम क्षिमा मृदुभाव प्रकाशैंशरल वृत्ति निर्वाछ कपूर-धरसंजम तप त्याग जगत सबध्या लत्चित केवलनूर ॥ ४॥ यह शिवपंथ सनातन संतोलादि सनादि अटल मशहूर-या मारग नयनानन्द पायो-- इस विधि जोते करम करूर ॥ ५ ॥
७१-गगदेश।
राजरी सूरत प्यारी लागै छै, म्हानैं राजरी मूरत० ॥ टेक ॥ नाम मन्त्र परताप राजरे, पाप भुजङ्गम भागे छै ॥ १ ॥ वचन सुनत तन मन सब हुलसे, ज्ञान कला उर जागै छै ॥ २॥ ज्यों शशि निरनि कमोदिनि विकस. चिन चकोर,पट पागै छै॥३॥ हग सुख ज्यों घन विखि मगन है, मन.मयूर अनुरागै छै ॥ ४॥
७२-रागनीट्यौड़ी-पंचपरमेष्टी स्तुनि । जै जै जै जिन लिद्ध सचारज उज्झाय लाधव शिवकत ॥ टेक।।। जैकल्याण धाम जग तीरथ, पोपक सकल चराचर जंत । पूजत नित पङ्कज तुमरे नर, नारायण अरु सवही संत ॥ १ ॥ शूकरसिंह नवल मर्कट के, सुनी सकल हमने विरतन्त | ऐस अधम उधारे तुमने, अरुकीने तिनकं अरहन्त ॥२॥ नाग वाघ दण्डक स्वानादिक, भील भेकस जांच अनन्त । कर उद्धार पार किये जग से, जिन पूजे तुमकं भगवन्त ॥ ३॥ रोव रद्ध लेवक अरु शत्रु, निगुण गुणी निर्धन धनवन्त ।