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महाचंद जैन भजनावली।
निवार संवारसु आयो आतम हित स्वर जोयो। बुधमहाचन्द्र चन्द्रसमहोकर उज्वल चित रखोयो ॥ जीव तू आमत० ॥३॥
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___मन बैरागीजी नेमीश्वरस्वामी शिवपुर गामीजी। मनः ॥टेर॥ अपनं राज राखनके कारण कृष्ण कपट करलीनंजी ॥ उग्रसैन पुत्री राजुलसे व्याह रचीनजी ॥ मन० ॥१॥ छपन कोड़ि जादवमिल भेला खूब बरात बणाईजी। तौरण आय देख पशुदु खिया बंद छुड़ाईजी ॥ मन० ॥ २ ॥ तौरणसे रथ फेर जिनेश्वर उर्जयं तगिरि ठाड़ेजी। कांकण डोरा तोड़ मोड़कर दिक्षा मांडीजी ॥ मन० ॥३॥ घातिया घाति अघाति बहुविधि मोक्ष महल गिर ठाड़ेजी। बुधमहाचन्द्र जान जिनसेवे नोनिध लागीजी॥ मनबैरा०॥४॥
जगमें जगती जिनबानीरे जगमें जगती