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महाचंद जैन भजनावली।
(३) बधाई। धन्य घड़ी याही धन्य घड़ीरी । आज दिवस याही धन्य घड़ी री ॥ टैर ॥ पुत्र सुलक्ष्मण महासैन घर जायो चंद्रप्रभ चन्द्रपुरी री॥ धन्य० ॥१॥ गजके बदन शत बदन रदन बसु रदनपै तरवर एक करीरी। सरवर सत पणबीस कमलिनो कमलिनी कमल पचीस खरीरी॥ धन्य० ॥२॥ कमल पत्र शत आठ पत्र प्रति नाचत अपसरा रंग भरीरी। कोडि सताइस गज सजि ऐसो आवत सुरपति प्रीत धरीरी॥ धन्य ॥३॥ ऐसो जन्म महोत्सव देखत दूरि होत सब पाप टरीरी। बुध महाचन्द्र जिके भव मांही देखे उत्सव सफल परीरी ॥ धन्य० ॥४॥
(४) बिहाग। चिदानन्द भूलि रह्यो सुधि सारी। तू तो करत फिरै म्हारी म्हारी ॥ चिदा०॥ टैर ॥ मोह उदय तें सबही तिहारो जनक मात सत नारी। मोह दूरि कर नेत्र उघारो इनमें कोइ न तिहारी