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बुधजन विलास पुद्गल रात्रि अपनपौ मुल्यो, विस्था करत इलाज । अबहिं जथाबिधि वेगि बतायो बुधजनके सिरताज ॥ हरना० ॥३॥
२२ राग-पूरवी।। - भजन बिन यौँ ही जनम गमायो॥ भजन• ॥ टेक ॥ पानी पल्यां पाल न बांधी, फिर पाखें पछतायो । भज•॥ रामा-मोह भये दिन खोबत, आशापाश बंधायो । जप तप संजम दान न दीनों, मानुष जनम हरायो । भजन ॥२॥ देह सीस जब कापन लागी, दसन चला चल थायो। लागी आगि भुजावन कारन, चाहत कूप खुदायो । भजन• ॥३॥ काल अनादि गुमायो भ्रमतां, कबहु न थिर चित लायो। हरी विषयसुख भरम भुलानो, मृग तिसना-वश धायो ।। भजन ॥ ४ ॥
२२ राग-पूरवी - तारो क्यों न, तारो जी म्हें तो थांके शरना. आया ॥ टेक ॥ विधान मोका चहुंगति फेरत,