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बुधजन विलास
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१ प्रभाती प्रात भयो सब भविजन मिलिक,जिनवर पूजन आवो॥प्रातः ॥ टेक ॥ अशुभ मिटाको -पुन्य बढ़ावो,नैननि नींद गमावो॥ प्रा०॥१॥ तनको धोय धारि उजरे पट,सुभग जलादिक ल्यावो। वीतरागछबि हरखि निरखिकै, भागमोक्त गुण गारो॥प्रा०॥२॥शास्तर सुनोभनो जिनवानो, तप संजम उप जावो। धरि सरधान देव गुरु आगम.सात तत्व रुचि लावो।प्रा०॥३॥ दुःखित जनकी दया ल्याय उर, दान चारिविधि द्यावो । राग दोष तजि भनि निज पदको, बुधजन शिवपद पावो ॥ प्रा०॥ ४॥ -
२ प्रभाती। . किंकर अरज करत जिन साहिव, मेरी ओर