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________________ धन्यकुमार चरित्र इस ग्रंथको नवीन टाइपमें पुस्तकाकार अभी छपाया गया है । कविता बहुत ही भावपूर्ण तथा चरित्र आदर्श है । इसको पढ़कर प्रत्येक प्राणी शिक्षा ग्रहणकर सकता है । न्यो० ॥) आराधना कथा-कोष तीनों भाग छपकर तैयार हो गये हैं । पृष्ठ संख्या ६०० के लगभग, सजिल्द ग्रन्थका दाम ३॥) रखा गया है। कथायें इस ग्रन्थमें लिखी गई हैं। प्रत्येक कथा को इतनी सरल भाषामें लिखाया गया है कि १० वर्ष के बालकसे लेकर स्त्रिये तथा पुरुष उपन्यासकी तरह आद्योपान्त पढ़े वगैर पुस्तकको छोड़ नहीं सकते। कई एक कहानियां इतनी भावपूर्ण हैं कि, पढ़तेपढ़ते आप कभी रो पड़ेंगे कभी हँसने लगेंगे और कभी तो जैन-धर्मकी उदारता देखकर आप उछल पड़ेंगे। वास्तव में इस ग्रन्थका आजकलके युगमें खूबही प्रचार करना चाहिये। कई वर्षोंसे इस ग्रन्थकी एक भी प्रति नहीं मिलती थी। इतना बड़ा ग्रन्थ करीब ४ महिनेके कठिन परिश्रमसे तैयार हुआ है।
SR No.010454
Book TitlePrachin Jainpad Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvani Pracharak Karyalaya Calcutta
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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