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________________ २२२ बंभ - खत्तिय - महिला बभण-खत्तिय-वइसा बंभघादे अट्ठय बंभरण-वरण- महिलाओ बंभ- सुद्दित्थीओ भयारि सत्तमु भणिउ बंभसहावाऽभिरणा हॅव बसंता बंभा भोत्तरिया बंभारंभपरिग्गहfast क भे तवे वि बंभेवं बंभुत्तरभोकरे विजय (i) बाचदुअट्ठासीदिय वाढति भाणिदू बाणउदिउत्तराणि बाउदि एगउदी बाणउदिजुत्त दुसया बाणउदि उडिसी बाणउदि उदित्तं बाण उदि उदित्तं बाणउदिउदिसत्ता बाणउदिणउदिसंता बाणउदिउदिसंता बाणउदिर उदिसंता वारणउदिणउदिसंता बाणउदिलक्खसहस्सा बाणउदिसहस्सारिण बाउदी धा बाणउदी उदिचऊ बाणउदी उदिचऊ बाउदी पंचसय बाणजुदरुंदवग्गे विवा बाणासराणि छ चिय बादर ऊऊ बादरणिव्वत्तिवरं बादरतेऊवाऊ पुरातन जैनवाक्य-सूची छेदपिं० ३४४ वादरपज्जत्तिजुदा छेदस० १७ पढमे किट्टी छेदपिं० ३० | बादरपढमे पढमं छेददि० ३४६ | बादरपुरणा तेऊ छेदपिं० ३४७ सावय० दो० १५ दव्वस० गय० ५३ | बादरमालोचेंतो परम० प० २-६६ बादरलद्धिपुरणा जंबू० प० ११-३४७ | बादरलोभादिठिदी कल्लाणा० २२ | बादरसंजलगुढ़ये जंबू० प० ५-६८ वादरसंजलदये मूला० ११४० वादरसुहुमगदाणं मूला० १०६५ बादरहमा सिं जंबू० प० ११-३३२ | बादरसुहुमुदये य भावसं० २०३ | बादरसुहमे इंदियपचसं० ५-२३६ | वादरसुहमेइंदियभ० आर० ३७६ | वादरसुहुमेक्कद रं तिलो० प० ७-१६२ बादालमट्टघण इगिपचस०५-२१७ | बादाललक्खजोयणतिलो० प० २-७४ | बादाललक्खसोलसपंचस० ५-४१८ वादालसदसहस्सा बादरवादर बादर वादरमण वचि उस्सास गो० क० ७३६ बादालसहस्स पद गो० क० ७६२ | बादालसहस्सं पुह गो० क० ६२६ | बादालसहस्साईं पंचसं० ५-२२६ | बादालसहस्सागि पंचसं० ५-२२६ | बादालहरिदलो पचसं० १-२४२ बादालं तु पसत्था पंच० ५-४२६ | बादानं परणुवीसं सुखं० १८ तिलो० प० ६-७५ गो० क० ७५५ गो० क० ७०७ | बादालं बेरिण सया बादालं सोलसकदिवादालीस - सहस्सा बादालीस - सहस्सा बादालीसं चंदा गो० क० ७४६ बायरजसकित्ती व य बायरजसकिती विय जंबू० प०८-१७२ तिलो० प० ४-१८१ विलो० प० ७-४२३ | बायरपज्जत्तेसु वि तिलो० प० २ - २२७ बायरमरणवचजोगे गो० जी० ४६६ | बायरसुहुमेक्कयरं गो० क० २३५ बायरसुहुमेगिंदियगो० जी० २३२ | बायालतेरसुत्तर कत्ति० व १० श्रणु० १४० लद्धिसा० ३१२ दिसा० ४०६ गो० जी० २५८ गो० जी० ६०२ लदिसा० ६२४ भ० आरा० ५७७ कत्ति० श्र० १४६ लदिसा० २६२ गो० जी० ४६५ गो० जी० ४६६ पंचत्थि० ७६ गो० जी० १७६ गो० जी० १८२ गो० जी० ७२ गो० जी० ०१८ पंचस० ५-७० तिलो० सा० २७ तिलो० प०८-२३ तिलो० प०८-२४ जबू० प० ११-६६ अंगप० १ - २३ तिलो० सा० ७४८ तिलो० प० ४- २४६६ तिलो० प० ४- २४५५ तिलो० प० १-९८२ गो० क० १६४ गो० क० ६५० गो० क० ८५३ तिलो० सा० २० जबू० प० ६-८३ जंबू० प० १०-२७ जबू० प० १२-१०६ पंचसं० ३-४५ पचस० ३-६५ पचस० ५-२७२ बसु० सा० २३३ पंचसं० ४-२७७ पंचसं० १-३४ पचस० ५-२६१
SR No.010449
Book TitlePuratan Jain Vakya Suchi 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1950
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size33 MB
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