________________
पुरातन - जैनवाक्य-सूची
प्रथमो विभागः
अर्थात्
दिगम्बर जैन प्राकृतपद्यानुक्रमणी
उपदि अइउज्जलखवाओ अइउठि गाउट्ठी इउत्तमसहरणरणो एक पहुदि इसरजुत्ता इकवरभुसुहयं इकु तवं पालेअहिर फरसाई
इतित्त डुवकच्छरि
इतिवदाहसंता
इतिव्ववेयणाए
इथूलथूल-थूलं
इथूलथूल-थूलं
बलि विरो
अइबालवुड्ढदासे अबालवुड्ढरोगा भीमदंसणेण य इभीमदसणेण य श्रइमुत्तयाणभवरणा इमेच्छा ते पुरिसा
अ
श्रा० ति० १५-१२ | जंबू० प० ४ - १४० तिलो० प० ४ - १६२१
इरूवो हि जुवाणो अइलंघेय (इ) विचिट्ठो इलालियो विदेहो
भावसं ० ६६ | अइवट्ठेहिं तेहि
श्रा० ति० ६- १४ | श्रा० ति० १० - १७ आय० ति० १६ - ६
|
श्रइविट्ठि श्रणाविट्ठी श्रइवुड्ढ बालमूयं
इससेसरिणवहं इसयमव्वावाह
रा० सा० १११ | वसु० सा० १३५ | अइसयमादसमुत्थं तिलो० प० २ - ३४३ | इस रसमइसुगंध वसु० सा० १६१ | श्रइसुरद्दिकुसुम कुकुम श्रारा० सा० ४३ अइसोहण जोएणं
सु० सा० १८ | अउदो परिणमित्रो शियम ० २१ उदुम्बर फलसरिसा कत्ति० श्र० २६ | अउपत्तिकीभवंतर
छेदपिं० २१६ अकइयशियारणसम्मो वसु० सा० ३३७ अकचटतपजसवग्गा गो० जी० १३५ अकचटतपयसवन्नी पंचसं० १ - २३ | अकडुगमतित्तय मांतिलो० प० ४-३२६ | दम्म विरा तिलो० प० ४-१४७३ | अकदीमा उप्र आदी
रिट्स० ८६ वसु० सा० ७१ कत्ति० अ० ६ तिलो० प० १-१२०
जंबू प० २ - १६६
वसु० सा० २३५
जंबू प० ३-२४४ सिद्धभ० ६
पवयणसा० १-१३
वसु० सा० २५२ श्राय० ति० २५-४
मोरखपा० २४ भावस० ८
तिलो० प० ४-२२५० तिलो० प० ४-१०१८ भावसं ० ४०५ रिस० २२७
रिट्स ० १६३
भ० आर० १४६०
भ० श्रारा ६४७
तिलो० सा० ६३