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अपूर्व विजय
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असम्भव है । इसके अतिरिक्त अन्यायी राजा प्रजा के समक्ष न्याय की महत्ता किस प्रकार सावित कर सकता है ? आप कुमारी प्रभावती के साथ बलात् विवाह करने पर उतारू हुए हैं। पर कुमारी आपके साथ विवाह नहीं करना चाहती। ऐसी दशा मे विवाह-सम्बन्ध अगर हो जाय तो भी क्या लाभ होगा ? विवाह, वर-वधु का आजीवन का एक पवित्र सम्बन्ध है । वह बलात् होने से विवाहित जीवन शान्ति और सुख के साथ व्यतीत नहीं किया जा सकता। इससे घोर अशान्ति और संताप ही मिलेगा। एक बात और है। यह आपका व्यक्तिगत विपय है और वैयक्तिक विषय में राज्य की शक्ति का उपयोग करना सर्वथा अनचित है। आप अपने अन्याय पूर्ण स्वार्थ को साधने के लिए न जाने कितने योद्धाओं के प्राणों की बलि चढ़ाएँगे । इससे राज्य को कोई भी लाभ न होगा । राजा को प्रजा के हितमें अपने प्राणों का उत्सर्ग करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए प्रजा का बलिदान कर देना उसका कर्तव्य नही है । इसलिए कलिंगराज । आपने जो अशुभ निश्चय किया है उसे शीघ्र बदल दीजिए । न्याय-अन्याय का निचार कीजिए। इतने पर भी आप न समझे तो युद्ध के मैदान मे आ जाइए । वही अन्याय का निर्णय दिया जायगा । स्मरण रहे आपके पक्ष मे अन्याय की निर्बलता है और मेरे पक्ष मे न्याय की सबलता है।
चतुर्मुख दूत ने कुमार का सन्देश कलिंगराज के सामने अक्षरशः सुना दिया। इस सन्देश को सुनकर उसके कुछ योद्धा भड़क उठे और दूत का अपमान करने को तैयार हो गए । पर कलिंगराज का मन्त्री अत्यन्त अनुभवी और चतुर था । उसने