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साष्टांग प्रणाम कर, अने अजामां कांइ जे भूल थई होय, तेनी क्षमा माग; ए सघळं मन द्वारा करवानुं छे. एवी रीतनो नित्य अभ्यास राख्याथी, तारुं अंतःकरण उत्तरोत्तर अधिकनिर्मळ थइ, तारी एकाग्रताद्रढ थवा माडशे एटलुज नहीं; पण एथी वीजा विशेष लाभ थशे. वळी ध्यान समये तारा पोताना जे दोषो अने दुर्गण होय, तेनो विचार करी तेथी थती हानी अथवा काईंक लाभ थवानो होय तो तेनु सुख केहवुं अल्प अने क्षण भं