________________
ळानो नाश थाओ; भोजन सात्विक करवानुं छे, अने ते करवानी पूर्वे पंचग्रासनी आहुति पंचप्राणने आप; अने बनता सुधी भोजन समये मुन्य रेहेवाने प्रयत्न कर. खरी क्षुधा अने तृषा लागी होय त्यारेज भोजन अने जळपान कर. कदापी कोइपण रीतना ऊत्तम रसना भोजननी ईच्छा थाय तो, ते मात्र तृष्णाने शांत पमाडवा सारु, तेनो ऊपयोग करूं छु एवो विचार मनमा करवो नहीं, अथवा वखाण करी खावू नहीं, पण ते