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मुलतान छावनी मुलतान से तीन मील दूर मुलतान छावनी मे भी एक प्राचीन भव्य दिगम्बर जैन मन्दिर था जिसके प्रारम्भिक इतिहास का पता नही चलता कि वह कब बना और किसने बनवाया। सन् 1935 ई मे उसका जीर्णोद्धार करवाकर उसे नया रूप दिया गया जिसमे मुलतान छावनो के समाज के साथ-साथ मुलतान दिगम्बर जैन समाज विशेषकर श्री रगूलालजी बगवाणी का विशेप हाथ था।
मुलतान छावनी मे अधिकाश अग्रवाल दिगम्बर जैन परिवार रहते थे जिनमे कुछ महानुभावों के नाम निम्न प्रकार हैं -
(1) श्री किशोरीलालजी-आप उत्तर-पश्चिम रेल्वे मे मुलतान सभाग कार्यालय मे उच्च पदाधिकारी थे, धर्मज्ञ एव शान्ति प्रिय थे।
(2) श्री भोलानाथजी-पुत्र श्री रामजी विशेषकर विदेशियो को मुलतान में निर्मित कलात्मक वस्तुए जैसे-गलीचे, हाथीदात की वस्तुए, मिट्टी के बर्तनो पर निक्काशी की हुई हस्त शिल्प वस्तुए आदि विक्रय किया करते थे।
(3) श्री पन्नालालजी सरावगी-धर्मात्मा व्यक्ति थे तथा रुपये आदि के लेन-देन का व्यवसाय करते थे।
(4) श्री गिरधरलालजो-सज्जन एव धर्मात्मा व्यक्ति थे। राज के किसी कार्यालय में कार्यरत थे।
(5) श्री मुरारीलालजो-समाज में उत्साही कार्यकर्ता थे और उनका कपडे का व्यवसाय था।
____इस प्रकार ये सब परिवार नित्य देव पूजन, स्वाध्याय आदि किया करते थे और शहर से भी समय-समय पर लोग वहा जाकर दर्शन पूजन आदि किया करते । वर्ष मे दशलक्षण पर्व के बाद एक दिन शहर का पूरा समाज आकर सामूहिक रूप से पूजन पाठ प्रवचन आदि का विशेप आयोजन रख कर उत्सव मनाता था तथा सामूहिक प्रीतिभोज आदि का भी कार्यक्रम रखा जाता था।
मुलतान छावनी में भी समय-समय पर वृती एव त्यागियों का भी आगमन होता रहता था । जिनके विशेप रूप से सार्वजनिक अध्यात्मिक प्रवचनो से महती धर्म प्रभावना होती रहती थी। जिनमे पूज्य ऐलक पन्नालालजी एव व शीतलप्रसादजी का नाम विशेप उल्लेखनीय है।
1947 मे देश विभाजन के समय मुलतान छावनी के भाइयो ने भी वहां से भारत आने का निर्णय लिया और मन्दिरजी की मूर्तियो को मुलतान मन्दिर में विराजमान करके भारत आ गये, जो मुलनान मन्दिर की मूर्तियो के साथ भारत लाई गई, वो अब दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्श नगर, जयपुर मे विराजमान है।
•मुल्तान दिमम्बर जैन समाज-इतिहास के बालोग में