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________________ श्री राजारामजी के पुत्र श्री फुलचन्दजी श्री गजानमजी के प्रथम पत्र है । आपका जन्म डेरागाजीखान मे हुआ था। शिक्षा के बाद आप अपने व्यवसाय में लग गये। कठोर परिश्रमी होने से आपने अपने समान में अच्छी प्रगति को। आप सरल स्वभावी एव धर्मज्ञ है। सामाजिक कार्यों मे भी उत्साहपूर्वक भाग लेते है। बच्चो को धार्मिक शिक्षा दिलाने में आपकी विशेष रुचि है। मन धामिक पाठशाला चलवाने एव बच्चो को पाठशाला जाने के लिए घर-घर जाकर प्रेन्नि करते रहते हैं । सामाजिक वरतन भडार आदि की व्यवस्था आपने भली भाति नाखो है। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती कौशल्या देवी है । आपके अनिल, अरुण अजय पन एव एक पुनी है । __ श्री पन्नालालजी श्री राजारामजी के द्वितीय पुत्र है। आप गम्भीर एव धार्मिक रुचि के व्यक्ति है। आप ताम्मोनियम के मास्टर एव अच्छे सगीतज्ञ है, धार्मिक गीतो की रचना भी करते है लोन बननो पो भी सिखाते है । आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती पदमा देवी है । आपने नरेग, मनीष, पुनीत, उपेन्द्र चार पुत्र है । श्री अशोक कुमारजी श्री राजारामजी के तीसरे पुत्र है, जो अपना अलग व्यवसाय करते एव रहते है। श्री मोहनलालजी श्री गजागमजी के चतुर्थ पुत्र है । शिक्षा के बाद आप भी अपने पैतृक व्यवसाय मे लग गये । उन्हें भी संगीत विद्या में रुचि है, गला अच्छा है । आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती जय श्री है। आपके आसीन एक पुत्र एव एक पुत्री है। आ। गव मयुक्त परिवार के स्प मे श्री भोजाराम पन्नालाल जनरल मर्चेन्टस मटला पुरोहितजी में कार्यरत है तथा 591 आदर्शनगर मे रहते है। [ 151 • मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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