SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री दयालचंदजो के पुत्रं श्री भगवानदासजी श्री भगवानदासजी दयालचन्दजी के प्रथम पुत्र है । पाकिस्तान से आकर जयपुर मे वस गये । आपके दिलीप, अगोक, व राजेन्द्र तीन पुत्र हैं । आप चाकसू का चीक घी वालो का रास्ता, जौहरी वाजार, जयपुर मे रहते थे। दिनाक 12-6-81 का योडे समय की बीमारी के कारण आपका स्वर्गवास हो गया। आपकी धर्मपत्नी का नाम लक्ष्मी देवी है। श्री चिमनलालजी श्री चिमनलालजी दयालचदजी के द्वितीय पुत्र हैं। मुलतान मे आप व्यवसाय करते थे । कुशाग्न बुद्धि होने से व्यवसाय मे अच्छी उन्नति की थी । पाकिस्तान बनने पर समाज को भारत मे लाने के लिये वायुयानो का प्रवन्ध करने मे आपका भी बहुत बडा योग था । आपकी धर्मपत्नी. का नाम शकुन्तला देवी है। आपकी दो पुत्रिया हैं। सन् 1948 मे थोडे समय की बीमारी से 45 वर्ष की अल्प आयु मे ही आपका स्वर्गवास हो गया। श्री शांतिलालजी श्री शातिलालजी दयालचन्दजी के तीसरे पुत्र है । आपका जन्म मुलतान मे हुआ था । हाई स्कूल की' शिक्षा प्राप्त कर आप जयपुर में व्यवसाय करने लगे। तीक्ष्ण बुद्धि होने से आपने व्यवसाय मे अच्छी प्रगति की। आप समाज की कार्यकारिणी के कई वर्षों मे सदस्य है । आपकी धमपत्नी का नाम प्रकाग देवी है । आपके चन्द्रशेखर, रविकुमार, व मजयकुमार तीन पुत्र हैं । जेठानन्द चिमनलाल के नाम मे कटला पुरोहितजी मे आपका व्यवमाय है । मकान नम्बर 577 गली नं02 आदर्शनगर जयपुर में निवास है । श्री चन्द्रेश कुमार श्री चन्द्रेशकुमार की धर्मपत्नी पिवी जैन है। इनका एक पुत्र व्यवमायी एव निवास पिता के साथ 120 ] . मुलतान दिगम्बर जैन ममात्र-इनिहाम के माजोक मे
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy