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________________ विशिष्ट परिचय 30,388 पाकिस्तान से आने के पश्चात् जहाँ सारे देश मे विस्थापित अपने अपने को पुनर्स्थापन करने मे लगे थे वहाँ मुलतान दिगम्बर जैन समाज ने अपने व्यवसाय एवं आवास आदि का पुनर्व्यवस्थित करने के साथ साथ पूर्व परम्परा से आये धार्मिक संस्कारो के कारण मन्दिर के निर्माण का कार्य भी तुरन्त हाथ मे ले लिया। इसी का परिणाम है कि यह विशाल निर्माण कार्य जिसको पूर्ण होने मे लगभग पच्चीस वर्ष लगे हैं, केवल मुलतान दिगम्बर जैन समाज जयपुर एव दिल्ली के आर्थिक सहयोग से ही यह योजना पूर्ण की गई। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मात्र आर्थिक सहयोग ही पर्याप्त नहीं होता उसके साथ साथ मानपिक एन शारीरिक परिश्रम की भी अनिवार्य रूप से अत्यन्त आवश्यकता होती है। जयपुर मे यह कार्य होने के नाते जयपुर समाज का तो विशेप कर्तव्य था ही, किन्तु दिल्ली समाज ने जो तन, मन, धन से पहयोग दिया वह विशेष सराहनीय है। श्री घनश्यामदासजी जब तक जयपुर मे रहे मन्दिर निर्माण कार्य मे उनका हर प्रकार से पूर्ण सहयोग रहा। जयपर से दिल्ली निवास कर लेने पर भी इस मन्दिर के निरणि मे उनकी रुचि कम नही हई। समय समय पर निर्माण कार्य, अर्थ सग्रह आदि की योजनाओ मे परामर्ग देकर उसे कार्यान्वित कराने मे पूर्ण सहयोग देते रहे । उसी प्रकार श्रीमान आगानन्दजी बगवार्णी ने भी सन् 1956 से निर्माण कार्य का नेतृत्व सभालकर कार्य को विशेप गति प्रदान की तथा मन्दिर की विशाल छत आदि डलवाते समय श्री पलसिहजी जैन आम्टेक्ट को समय समय पर जयपुर लाकर निर्माण काय सम्बन्धी परामर्श लेकर उसे कराया, जिसे कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। श्रीमान पलसिहजी जैन आर्चीटेक्ट (दिल्ली वाले) धर्मपुग दरीवाक ला, दिल्ली म रहते हैं उनसे श्री आगानन्दजी ने इस मन्दिर की छत डलने मे आने वाली कटिनाइयो कविषय मे वात की तो उन्होने अति उत्साह के साथ जयपुर चलकर इन समस्या को हल करने में रुचि दिखाई और वे इसके लिए कई वार नि शुल्क विना किसी स्वार्थ के जयपुर आय और छत का डिजाइन आदि तैयार करके उन्होने अपने सामने इस छत को डलवाया. जा विशेष प्रशसनीय है। श्रीमान सेठ गुमानीचन्दजी सिगवी एव तोलारामजी गोले छाको मुलतान दिगम्बर जैन समाज दिल्ली के प्राण है, उन्होने भी मन्दिर निर्माण कार्य में दिल्ली समाज से आर्थिक सहयोग दिलाने में कोई कसर वाकी नहीं उठा रखो। पच्चीन वर्प ने जब जव भी जयपुर से समाज के प्रतिनिधि दिल्ली गये इन्होने अपना सब काम छोडार पूर्ण " दत हुए आर्थिक एन निर्माण सम्बन्धी हर समस्याओ का समाधान कराया। 30,388 . मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इपिहान के आलोक में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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