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________________ इस पुस्तक प्रकाशन की योजना के प्रणेता मुलतान दि० जैन समाज के प्राण श्री गमानीचन्द जी दिल्ली वाले विशेष धन्यवाद के पात्र है जिन्होने न केवल मुझे प्रारम्भ मे प्रेरित किया अपितु, उनका सहयोग सदैव प्राप्त होता रहा । इसी भाति श्री तोलाराम जी गोलेछा, श्री मनमोहन जी सिगवी, श्री रोशनलाल जी गोलेछा आदि का सराहनीय सहयोग प्रशसा किए बिना नही रहा जा सकता । जयपुर मे श्रद्धय श्री चामत राम जी जिस स्फूर्ति एव लगन से सभी योजनाओ को हमेशा क्रियान्वित कराने मे अग्रणी रहकर प्रेरणाप्रद पथ-प्रदर्शक रहे यह सर्व विदित है उनको समाज कभी भुला नहीं सकता। श्री बाबूलाल जी सेठी अध्यापक श्री महावीर विद्यालय प्रेस कापी बनवाने एव श्रीमान् सुरेन्द्रकुमार जी जैन वाचनालयाध्यक्ष श्री दि० जैन महावीर उच्चतर मा० विद्यालय जयपुर ने प्रकाशन मे जो अपूर्व सहयोग दिया वे बहुत-बहुत धन्यवाद के पात्र हैं । जयपुर मे इस पुस्तक के प्रकाशनार्थ अर्थ सग्रह कराने मे श्री शम्भकुमार जी, श्री जवाहरलाल जी, श्री शीतलकुमार जी आदि ने जो सहयोग दिया उन सभी को मै धन्यवाद देता हू तथा श्री रामकलप जी पाण्डेय का पुस्तक प्रकाशन मे जो सहयोग रहा वह भी सराहनीय है । अन्त मे मै समस्त मुलतान दि० जैन समाज दिल्ली, जयपुर को जिन्होने धनराशि, परिवार परिचय विवरण तथा अन्य सामग्री उपलब्ध कराकर पुस्तक प्रकाशन मे सहयोग दिया, हार्दिक धन्यवाद देता हू । क्षमा प्रार्थी । E. Gu dung जयकुमार जैन मत्री-मुलतान दि० जैन समाज
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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