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________________ को भनाश्री विकामागन्जी महाराज जव सघ सहित जयपुर मी दिगम्बर जैन मन्दिर मे पदार्पण हुआ। छ दिन म क परम आध्यात्मिक प्रवचन हुए, जिससे सभी साधर्मी मा 105 की महजानन्दजी महाराज (श्री मनोहरलालजी कर्णी) : पधारे तो आननगर दिगम्बर जैन मन्दिर मे उनके प्रवचनो का मआयोजन गिनिने नमाज को उनके आध्यात्मिक प्रवचन सुनने का अपूर्ण का।ि मोर: 1980 मे बालब्रह्मचारिणी कौशल बहिनजी (पानीपत वाली) नीरा :तीने नम आदर्गनगर दिगम्बर जैन मन्दिर मे धर्मामत की वर्षा । उपनाम देते हैं कि माध-मत त्यागीगण, विद्वत वर्ग आदि महानुभाव मायनमय पर आननगर मन्दिर मे पधारते रहते है, जिससे यहाँ तथा आस पास के माधी जन मी जान गगा ने धर्मामत का रसपान किया करते है। नमय कर पर जयपुर के विभिन्न मन्दिरो मे होने वाले उत्सवो रथ यात्राओ तना अन्य कार्यक्रमों में मुलतान दिगम्बर जैन समाज अपनी सगीत मण्डली सहित बड़े पाल्लान के गार भाग लेनी रहती है । फलस्वरूप जयपुर मे कोई भी उत्सव होता है तो उन मण्टली को कार्यक्रम प्रस्तुत करने हेतु अवश्य ही आमन्त्रित किया जाता है तथा सामूहिक उन्मत्रो जैसे महावीन्जयती आदि की शोभा यात्रा मे मुलतान दिगम्बर जैन समाज की मण्डली को विशेष रूप से बुलाया जाता है । जिसमे मुलतान जैन समाज प्रत्येक वप नवीन प्रकार की आधुनिक कलात्मक झाकियो के साथ अपनी सगीत मण्डली द्वारा सवात्कृष्ट कार्यक्रम प्रस्तुत करती है, इसी कारण वह सम्पूर्ण जुलूस मे पूरे जन समूह के विशेष आकर्षण का केन्द्र होती है। उसी प्रकार भावान महावीर के 2500वाँ निर्वाण महोत्सव वर्ष मे शोभा भावार, गाठियो, मास्कृतिक कार्यक्रमो मे मूलतान दिगम्बर जैन समाज को सगीत मण्डली न सामूहिक रूप से अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करके अथवा समाज के कुछ महानुभावो ने व्यक्तिगत रूप से सक्रिय सहयोग देकर निर्वाण महोत्सव को सफल बनाने मे पूर्ण योगदान दिया। फलस्वरूप उसके समापन समारोह मे मन्त्री श्री जयकुमारजी एव श्री वलभद्र मारणा को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया। इस प्रकार जहाँ मुलतान दिगम्बर जैन समाज धार्मिक गतिविधियो को बडे उल्लास एव उत्साह के साथ कार्यान्वित करता रहा है वहाँ लोकोपकारिक कार्यो मे भी छ नही रहा । समय-समय पर देश एव राज्य में आने वाली विपत्तियो जैसे कि अतिवप्टि, वाह, सूखाग्रस्त, पीडित व्यक्तियो को यथाशक्ति सहायता देकर जयपुर समाज के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलता रहा है। [ 81 मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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