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________________ महावीर कीर्ति स्तंभ 51 फुट ऊंचा सफेद संगमरमर के पत्थर से बना है । मूल मे 5 खण्ड का आधार 6 फुट ऊ चा मूल भाग है, उस पर पंचकोण तीन भाग में स्तभ बना है । सबसे ऊपर के खण्ड के प्रथम भाग मे अनादि निधन महामत ( णमोकार मंत्र ), दूसरे भाग मे चार मंगल अर्थात् ( चत्तारि मंगल), तीसरे भाग मे ससार मे चार उत्तम ( चत्तारि लोगुत्तमा), चौथे भाग मे ससार मे चार ही शरण पव्वज्जामि, तथा पाचवे भाग मे वदना (मोक्ष मार्गस्य नेतार भेतार' कर्म भूभृताम्, ज्ञातार विश्व तत्वाना वदे तद्गुण लब्धये) ये सब पूरे वाक्यो मे लिखे गये है । दूसरे खण्ड के प्रथम भाग मे "परमानन्द सिन्धु देव" (परमेष्ठी परम ज्योति ) अर्थात् देव का स्वरूप, दूसरे भाग मे, "ज्ञानदीप" अर्थात् शास्त्र का स्वरूप, तीसरे भाग मे समता के साधक गुरु का स्वरूप, चौथे भाग मे वस्तु स्वभाव धर्म अर्थात् आत्मा के शुद्ध स्वभाव का तथा पाचवे भाग मे गुणप्रधान स्तुति उत्कीर्ण कराई गई है | नीचे के खण्ड एव आधार खण्ड पर इतिहास एव अध्यात्म के विषय के लेख लिखा जाना शेष है । इस स्तभ मे तीन खण्डों के ऊपर चारो ओर चार गुलाबी पापाण के धर्म च वनवाकर लगाये गये है । उसके ऊपर वेदी है जिसमे पूर्व दिशा में, विदेह क्षेत्र मे विराजमान श्री अरहत परमात्मा 1008 श्री सीमधर भगवान तथा पश्चिम मे भरतक्षेत्र के धर्मतीर्थं प्रवर्तक प्रथम तीर्थकर भगवान श्री ऋषभदेव, उत्तर व दक्षिण दिशामे अन्तिम तीर्थकर भगवान श्री महावीर की स्मृतिया विराजमान है । इस प्रकार मानस्तभ की वेदी के चारो ओर चार प्रतिमाएं सुशोभित है । यह विशाल एव सुन्दर महावीर कीर्ति स्तम्भ श्रीमान नेठ गुलाजी बनवानी एव श्रीमान स्वर्गीय सेठ श्री घनश्यामदासजी सिंगवी की धर्मपत्नि श्रीमती बिनदेवी के आर्थिक सहयोग से निर्माण हुआ तथा मुलतान दिगम्बर समाज के मन्त्री श्री जागरण जैन के ही अथक परिश्रम एवं कुशल देखरेख मे निर्मित हुआ । इस प्रकार यह आधुनिक डिजाइन का अति मनोज्ञ एवं आ स्तम्भ भगवान महावीर के पच्चीसीचे निर्वाण वर्ष मे जहा जी महान उपलब्धि है वहा दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर के अपूर्व शोभा बढ़ गई है था यह महान पवित्र मुलतान दिगम्बर जैन समाज के लिये गांव का विषय है। न होईन गय महावीर कल्याण केन्द्र भवन का निर्माण महावीर कल्याण के दो मंजिले भवन के निर्माण कराने ि • Dan farz da aar-team i मंदिर
SR No.010423
Book TitleMultan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMultan Digambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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