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मन्दिर के पीछे की जमीन मे मन्दिर को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बी बनाने हेतु दो मंजिला भवन बनवाकर स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर को किराये पर दिया गया है जिससे मन्दिर का दैनिक खर्च सहज रूप से चलता है। भगवान महावीर 2500वॉ निर्माण महोत्सव वर्ष
नवम्बर सन् 1974 ई मे सारे भारतवर्ष मे भगवान महावीर 2500वा परिनिर्वाण महोत्सव बडे पैमाने पर मनाया गया, जिसके अन्तर्गत पूरे भारतवर्ष एव विदेशो मे भगवान महावीर के सिद्धान्तो का प्रचार प्रसार हुआ और कई जनोपयोगी एव कल्याणकारी योजनाएं बनाई गई अथवा कार्यान्वित की गई। इसी के अन्तर्गत राजस्थान प्रान्त मे भी भगवान महावीर 2500 वा निर्वाण महोत्सव समिति राजस्थान द्वारा प्रान्तीय स्तर पर कई योजनाए कार्यान्वित की गई। जयपुर मे भी महावीर विकलाग केन्द्र जैसी कई मानव कल्याणकारी महत्वपूर्ण योजनाऐं प्रारम्भ हुई, इस अवसर पर मुलतान दिगम्बर जैन समाज भी पीछ नही रहा अपितु मुलतान समाज ने भी निम्न दो विशाल महत्वपूर्ण योजनाओ को मूर्त रूप दिया.
1 महावीर कीति स्तभ
2 महावीर कल्याण केन्द्र महावीर कीति स्तभ
भगवान महावीर 2500वा निर्वाण महोत्सव जयपूर साभाग समिति ने योजना वनाई कि राजस्थान की राजधानी जयपुर मे श्री महावीर कीर्ति स्तभ का निर्माण कराया जावे। कई बैठको मे विचार विमर्श हुआ किन्तु समस्या थी अर्थ एव स्थान की।
मुलतान दिगम्बर समाज ने प्रस्ताव रखा कि वे दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर के प्रागण मे अपने व्यय से महावीर कीर्ति स्तभ निर्माण कराने को तैयार हैं।
यह प्रस्ताव सुनकर निर्वाण महोत्सव समिति के सदस्यो मे हर्ष की लहर दौड गई। जयपुर सभाग समिति ने प्रान्तीय समिति को इस प्रस्ताव से अवगत कराया जिससे उन्हें भी अत्यत प्रसन्नता हुई और उन्होने शीघ्र निर्माण कराने का आग्रह किया।
____ अब महावीर कोति स्तभ के निर्वाण का दायित्व मुलतान दिगम्बर जैन समाज पर आने से, समाज मे इसकी चर्चा होने लगी फलस्वरूप श्री रग्रलाल सूपत्र श्री भोलारामजा वगवाणी एव बिहारीलालजी के सुपुत्र स्व० श्री घनश्यामदासजी सिंगवी की धर्मपत्नी श्रीमती विशनीदेवी ने निर्माण कराने हेतु आर्थिक सहयोग दिया ।
अखिल भारतीय भगवान महावीर 2500 वा निर्वाण महोत्सव समिति दिल्ली के स्वीकृत डिजाइन के अनुसार (राकेट के आकर का) आधुनिक डिजाइन महावीर कीर्ति स्तभ अर्थात मानस्तभ का श्रीमान रगुलालजी एव स्वर्गीय श्री घनश्यामदासजी के सुपुत्र श्री इन्द्रकुमार एव वीरकुमारजी के करकमलो द्वारा सन् 1976 ई० मे शिलान्यास कराया गया।
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• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक में